नासा ने संभावित रूप से रहने योग्य समुद्री दुनिया की जांच के लिए मिशन शुरू किया।

नासा का यूरोपा क्लिपर मिशन: बृहस्पति के चाँद की रहस्यमयी दुनिया की खोज

नासा ने एक बार फिर अंतरिक्ष की दुनिया में बड़ा कदम उठाया है। उसने अपना नया मिशन, यूरोपा क्लिपर, शुरू किया है, जो बृहस्पति के चाँद यूरोपा के रहस्यों को खोलने की कोशिश करेगा। यह अंतरिक्ष यान सोमवार को दोपहर 12:06 बजे (ईटी) फ्लोरिडा के नासा कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन हेवी रॉकेट के जरिए लॉन्च हुआ। इस मिशन का मकसद है यह पता लगाना कि क्या यूरोपा पर जीवन संभव हो सकता है।

यह लॉन्च पहले 10 अक्टूबर को होने वाला था, लेकिन तूफान मिल्टन की वजह से इसमें देरी हुई। तूफान के बाद नासा के कर्मचारियों ने लॉन्च सुविधाओं को चेक किया और अंतरिक्ष यान को फिर से लॉन्चपैड पर लाने की मंजूरी दी। अब यह यान कक्षा में पहुँच चुका है, और नासा को इसका सिग्नल भी मिल गया है। तो आइए, इस मिशन की पूरी कहानी को देसी अंदाज में समझते हैं कि यह क्या है, कैसे काम करेगा, और इससे हमें क्या उम्मीदें हैं!

नासा ने संभावित रूप से रहने योग्य समुद्री दुनिया की जांच के लिए मिशन शुरू किया।
नासा ने संभावित रूप से रहने योग्य समुद्री दुनिया की जांच के लिए मिशन शुरू किया

लॉन्च की कहानी: तूफान से जीत तक

यूरोपा क्लिपर का सफर आसान नहीं रहा। जब यह लॉन्च होने वाला था, तभी तूफान मिल्टन ने प्लान में रुकावट डाल दी। फ्लोरिडा में तेज हवाओं और बारिश ने सब कुछ रोक दिया। लेकिन नासा की टीम ने हार नहीं मानी। तूफान के गुजरते ही उन्होंने लॉन्चपैड को चेक किया, सारी मशीनों को टेस्ट किया, और आखिरकार हरी झंडी दे दी। सोमवार को जब फाल्कन हेवी रॉकेट ने उड़ान भरी, तो हर कोई खुशी से झूम उठा।

लॉन्च के करीब एक घंटे बाद नासा को यूरोपा क्लिपर से सिग्नल मिला। इसका मतलब था कि यान ठीक काम कर रहा है और मिशन कंट्रोल से उसका संपर्क बना हुआ है। इसके बड़े सोलर पैनल, जो इसे अंतरिक्ष में ऊर्जा देंगे, लॉन्च के तीन घंटे बाद खुल गए। अब यह यान अपनी लंबी यात्रा पर निकल पड़ा है, जो बृहस्पति के चाँद यूरोपा तक ले जाएगी।

यूरोपा क्लिपर: मिशन का मकसद

यह मिशन कोई साधारण मिशन नहीं है। नासा का यूरोपा क्लिपर हमारे सौर मंडल में बर्फ से ढके एक समुद्री चाँद की पड़ताल करेगा। यूरोपा, बृहस्पति का एक चाँद, अपने मोटे बर्फ के नीचे एक विशाल समुद्र छुपाए हुए है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस समुद्र में पृथ्वी के सारे महासागरों से दोगुना पानी हो सकता है। इस मिशन का सबसे बड़ा सवाल है—क्या इस समुद्र में जीवन हो सकता है?

नासा की जेट प्रोपल्शन लैब (जेपीएल) में साइंस सिस्टम इंजीनियर जेनी काम्पमीयर कहती हैं, "यह हमारी खोज की शुरुआत है। यूरोपा से जो कुछ हम सीखेंगे, वह कमाल का होगा। यह हर वैज्ञानिक के लिए कुछ न कुछ देगा और अगर यह चाँद जीवन को सपोर्ट कर सकता है, तो यह हमारे ब्रह्मांड की समझ को बदल देगा।"

यूरोपा का रहस्य: बर्फ के नीचे क्या है?

यूरोपा को खास बनाने की वजह है उसकी बर्फीली सतह और उसके नीचे का समुद्र। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस चाँद की बर्फ 15 से 25 किलोमीटर मोटी हो सकती है। इसके नीचे एक ऐसा समुद्र है, जो नमकीन पानी से भरा है। पहले के मिशनों में देखा गया कि इस बर्फ में दरारें हैं, जिनसे पानी के गुबार (प्लम्स) अंतरिक्ष में निकलते हैं। यह संकेत है कि वहाँ कुछ तो खास है।

यूरोपा क्लिपर इस समुद्र की गहराई, उसकी संरचना, और बर्फ के साथ उसके रिश्ते को समझने की कोशिश करेगा। क्या इस समुद्र में वो चीजें हैं, जो जीवन के लिए जरूरी हैं—जैसे पानी, ऊर्जा, और सही केमिकल्स? यह मिशन इन्हीं सवालों के जवाब ढूँढेगा।

यान में क्या-क्या है?

यूरोपा क्लिपर कोई छोटा-मोटा यान नहीं है। यह नासा का अब तक का सबसे बड़ा ग्रहीय मिशन यान है। इसके सोलर पैनल 100 फीट चौड़े हैं—यानी एक बास्केटबॉल कोर्ट से भी लंबे। ये पैनल सूरज की रोशनी को सोखकर यान को बिजली देंगे, क्योंकि यूरोपा पृथ्वी से सूरज की तुलना में पाँच गुना दूर है।

इस यान में 9 खास उपकरण और एक गुरुत्वाकर्षण प्रयोग है। ये उपकरण मिलकर यूरोपा के हर पहलू को समझेंगे:

  • कैमरे और स्पेक्ट्रोमीटर: हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें लेंगे और सतह का नक्शा बनाएँगे।
  • थर्मल उपकरण: बर्फ में गर्म जगहों और प्लम्स का पता लगाएगा।
  • मैग्नेटोमीटर: चाँद के चुंबकीय क्षेत्र को स्टडी करेगा और समुद्र की गहराई-नमक को मापेगा।
  • रडार: बर्फ के नीचे झाँककर समुद्र के सबूत ढूँढेगा।
  • मास स्पेक्ट्रोमीटर और डस्ट डिटेक्टर: प्लम्स के कणों को सूँघकर उनकी केमिस्ट्री बताएगा।

इसके अलावा, यान में 26 लाख से ज्यादा लोगों के नाम और अमेरिकी कवि एडा लिमोन की एक कविता भी है। यह मिशन इंसानियत की उम्मीदों को साथ लेकर चल रहा है।

लॉन्च से लेकर बृहस्पति तक का सफर

लॉन्च के बाद यूरोपा क्लिपर को 1.8 अरब मील (2.9 अरब किलोमीटर) की यात्रा करनी है। यह अप्रैल 2030 में बृहस्पति तक पहुँचेगा। रास्ते में यह मंगल और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल करेगा, ताकि कम ईंधन में ज्यादा स्पीड पकड़ सके। यह एक स्मार्ट चाल है, जो अंतरिक्ष मिशनों में आम है।

जब यह बृहस्पति पहुँचेगा, तो यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के जूस (Jupiter Icy Moons Explorer) मिशन के साथ मिलकर काम करेगा। जूस अप्रैल 2023 में लॉन्च हुआ था और जुलाई 2031 तक बृहस्पति के चाँदों की स्टडी करेगा। दोनों मिशन मिलकर हमें इन रहस्यमयी दुनिया की गहरी समझ देंगे।

चुनौतियाँ: बृहस्पति का खतरनाक माहौल

बृहस्पति कोई आसान जगह नहीं है। इसका चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी से 20,000 गुना मजबूत है। यह चार्ज्ड कणों को फँसाता है और ऐसा विकिरण (रेडिएशन) बनाता है, जो अंतरिक्ष यान के लिए खतरनाक है। मई में इंजीनियरों को डर था कि यूरोपा क्लिपर के पार्ट्स इस विकिरण को झेल न पाएँ। लेकिन सितंबर तक टेस्टिंग पूरी हुई और टीम ने इसे मंजूरी दे दी।

इसके लिए यान में टाइटेनियम और एल्यूमीनियम का एक खास वॉल्ट बनाया गया है, जो इसके इलेक्ट्रॉनिक्स को बचाएगा। साथ ही, मिशन की प्लानिंग ऐसी है कि यान हर फ्लाईबाई में सिर्फ एक दिन से कम समय विकिरण में बिताएगा। बाकी समय यह अपने ट्रांजिस्टर को ठीक करने में लगाएगा।

नासा ने संभावित रूप से रहने योग्य समुद्री दुनिया की जांच के लिए मिशन शुरू किया।
नासा ने संभावित रूप से रहने योग्य समुद्री दुनिया की जांच के लिए मिशन शुरू किया

मिशन का काम: 49 फ्लाईबाई

यूरोपा क्लिपर यूरोपा पर उतरेगा नहीं। यह चाँद के चारों ओर 49 बार फ्लाईबाई करेगा। हर फ्लाईबाई हर दो-तीन हफ्ते में होगी और सतह से 16 मील (25 किलोमीटर) की दूरी तक आएगी। हर बार यह अलग-अलग जगहों की स्टडी करेगा, ताकि पूरे चाँद का नक्शा बन सके। मिशन खत्म होने के बाद यह शायद बृहस्पति के चाँद गेनीमेड पर क्रैश करेगा, हालाँकि यह अभी तय नहीं है।

जीवन की खोज: क्या मिलेगा?

यूरोपा क्लिपर का मकसद सीधे जीवन ढूँढना नहीं है, बल्कि यह देखना है कि क्या वहाँ जीवन के लिए सही हालात हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि पानी, ऊर्जा, और सही केमिकल्स—ये तीनों यूरोपा पर हो सकते हैं। यह मिशन बर्फ की मोटाई, समुद्र की संरचना, और प्लम्स के कारणों को समझेगा।

जेपीएल के वैज्ञानिक रॉबर्ट पप्पालार्डो कहते हैं, "अगर हमें तरल पानी और कार्बनिक पदार्थों के सबूत मिले, तो यह एक नखलिस्तान जैसा होगा। शायद भविष्य में नासा यहाँ लैंडर भेजे और सचमुच जीवन की खोज करे।"

कुछ सवालों के जवाब

1. यूरोपा क्लिपर का मकसद क्या है?

यह पता लगाना कि क्या यूरोपा का समुद्र जीवन को सपोर्ट कर सकता है।

2. यह बृहस्पति कब पहुँचेगा?

अप्रैल 2030 में।

3. इसमें क्या खास है?

इसके बड़े सोलर पैनल और 9 खास उपकरण इसे अनोखा बनाते हैं।

आखिरी बात

नासा का यूरोपा क्लिपर मिशन अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया अध्याय है। यह हमें यूरोपा के बर्फीले समुद्र की गहराई में ले जाएगा और शायद यह बताएगा कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले नहीं हैं। अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो दोस्तों के साथ शेयर करें। नीचे कमेंट में बताएँ कि आपको यह कैसी लगी। और हाँ, अंतरिक्ष की और कहानियाँ चाहिए? हमें बताएँ, हम आपके लिए लाएँगे!

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