बजट 2025 का ब्लूप्रिंट: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम!

बजट 2025: मिडिल क्लास की उम्मीदों का हिसाब और सरकार का दांव

"यार, इस बार बजट सुनते वक्त लगा कि सरकार ने सचमुच मिडिल क्लास की जेब पर नजर डाली है। मेरे मामा जी, जो दिल्ली के लाजपत नगर में एक छोटी-सी हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं, पिछले हफ्ते बोल रहे थे, ‘अगर GST में कुछ राहत मिल जाए, तो महीने के 5-6 हजार बच जाएँगे। साल भर जोड़ो तो एक बाइक की EMI निकल आएगी!’ और देखो न, 2025 के बजट में MSMEs के लिए टैक्स में छूट का ऐलान हो गया। अब 50 लाख तक टर्नओवर वाले छोटे व्यापारियों को सिर्फ 5% GST देना होगा। लेकिन सवाल वही है—क्या यह राहत गाँव-कस्बों के उन दुकानदारों तक पहुँचेगी, जिन्हें ऑनलाइन फॉर्म भरना भी पहाड़ जैसा लगता है? मेरे चाचा जी, जो बरेली में किराने की दुकान चलाते हैं, कहते हैं, ‘ये डिजिटल वाला चक्कर तो हमारे बस की बात नहीं। अभी तक तो UPI ठीक से समझ नहीं आया!’ तो चलो, इस बजट की पूरी कहानी को देसी अंदाज में समझते हैं।"

बजट 2025 का ब्लूप्रिंट: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम!

बजट 2025 का प्लान: आत्मनिर्भर भारत का सपना

2025 का बजट सुनकर ऐसा लगा कि सरकार ने हर सेक्टर को कुछ-न-कुछ देने की कोशिश की है। MSMEs से लेकर किसानों, हेल्थकेयर से लेकर ग्रीन एनर्जी तक—सबके लिए कुछ न कुछ है। लेकिन असली बात यह है कि यह कागजों से निकलकर जमीन पर कितना उतर पाएगा? आइए, इसे एक-एक करके देखते हैं।

MSMEs के लिए राहत: छोटे व्यापारियों की जीत?

सबसे पहले बात छोटे व्यापारियों की। सरकार ने ऐलान किया कि 50 लाख तक सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस को अब 5% GST देना होगा। यह पहले से काफी कम है। मेरे मामा जी जैसे लोग, जो छोटी दुकान चलाते हैं, इसे सुनकर खुश हैं। वो कहते हैं, "अगर यह लागू हो गया, तो साल में 50-60 हजार की बचत हो सकती है। इससे बच्चों की फीस या घर का कुछ खर्चा निकल आएगा।"

लेकिन यहाँ पेंच है। मेरे चाचा जी जैसे छोटे शहरों के दुकानदारों को यह फायदा कैसे मिलेगा? वो कहते हैं, "GST रिटर्न भरने के लिए CA को 2-3 हजार हर महीने देने पड़ते हैं। ऑनलाइन सिस्टम समझने की तो बात ही छोड़ दो।" सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों के लिए आसान हेल्पलाइन या लोकल ऑफिस बनाए, ताकि यह राहत सिर्फ शहरों तक न सिमट जाए।

कृषि सेक्टर: MSP का पुराना दुख और नई उम्मीद

किसानों के लिए बजट में 12,000 करोड़ रुपये का फंड रखा गया है। नए ट्रैक्टरों पर सब्सिडी का भी ऐलान हुआ। लेकिन पंजाब के मेरे दोस्त गुरप्रीत का कहना है, "ट्रैक्टर तो ठीक है, लेकिन MSP (Minimum Support Price) का क्या? हमारी गेहूं की फसल की कीमत आज भी वही है, जो 5 साल पहले थी।" उनका परिवार अमृतसर के पास 10 एकड़ में खेती करता है। वो बताते हैं, "लोन लेने की प्रक्रिया इतनी पेचीदा है कि बैंक के चक्कर काटते-काटते हिम्मत हार जाते हैं। जो कमाई होती है, वो ब्याज और एजेंटों में चली जाती है।"

महाराष्ट्र के विदर्भ में कपास के किसान भी खुश नहीं। उनका कहना है, "नई टेक्नोलॉजी की बात तो अच्छी है, लेकिन बारिश पर निर्भर हम जैसे किसानों के लिए बीमा स्कीम अभी भी कमजोर है।" सरकार को चाहिए कि MSP को साफ करें और बीमा को आसान बनाएँ, ताकि छोटे किसानों का भरोसा बढ़े।

हेल्थकेयर: शहरों में ठीक, गाँवों में सवाल

बजट में 500 नए आयुष्मान हॉस्पिटल बनाने का ऐलान हुआ है। यह सुनकर शहरों में रहने वाले लोग खुश हैं। लेकिन गाँवों का क्या? मेरी बहन, जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में नर्स है, कहती है, "यहाँ हॉस्पिटल तो हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं। दवाइयाँ भी महीने में एक बार आती हैं। मरीज को ब्लड प्रेशर की गोली चाहिए, तो हम कहते हैं—राम भरोसे चलो!"

राजस्थान के मेरे भाई ने बताया कि उनके गाँव में ENT स्पेशलिस्ट साल में दो बार आते हैं। बजट में हॉस्पिटल की बात हुई, लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की भर्ती का कोई जिक्र नहीं। अगर गाँवों तक हेल्थकेयर पहुँचाना है, तो सरकार को बुनियादी ढाँचे पर पहले काम करना होगा।

बजट 2025 का ब्लूप्रिंट: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम!

ग्रीन एनर्जी: सोलर सब्सिडी का सच

सोलर पैनल पर सब्सिडी 40% से बढ़कर 50% हो गई है। यह पर्यावरण के लिए अच्छी खबर है। लेकिन मेरे जैसे मिडिल क्लास लोगों का सवाल है—हम तो छोटी छत वाले या सोसाइटी में रहते हैं, हमारे लिए क्या? मेरे पड़ोसी अंकल कहते हैं, "सोसाइटी में सोलर लगाने के लिए 20 लोगों की मीटिंग करो, फिर फैसला लो। इतना झंझट कौन करे?"

लेकिन केरल के मेरे दोस्त ने कुछ उम्मीद जगाई। वो बताते हैं, "हमारी सोसाइटी ने कम्यूनिटी सोलर प्रोजेक्ट शुरू किया। अब हर फ्लैट का बिजली बिल 30% कम आता है।" सरकार को चाहिए कि ऐसे मॉडल को हर शहर-गाँव में बढ़ावा दे, ताकि सोलर का फायदा सब तक पहुँचे।

एजुकेशन: लैपटॉप तो ठीक, लेकिन नेटवर्क?

ग्रामीण स्टूडेंट्स के लिए 10 लाख लैपटॉप देने की योजना है। यह डिजिटल इंडिया के लिए बढ़िया कदम है। लेकिन मेरा छोटा भाई, जो गाँव में रहता है, कहता है, "हमारे यहाँ तो 4G भी ढंग से नहीं चलता। लैपटॉप से क्या फायदा?" बिहार के गया में एक टीचर ने बताया, "स्कूल में प्रोजेक्टर है, लेकिन बिजली कटौती की वजह से वो बस शोपीस बना हुआ है।"

अगर सरकार डिजिटल एजुकेशन की बात करती है, तो पहले बिजली और इंटरनेट का इंतजाम करना होगा। नहीं तो यह योजना सिर्फ बड़े-बड़े स्कूलों तक सिमट कर रह जाएगी।

युवाओं के लिए नौकरी: स्किल इंडिया 2.0

‘स्किल इंडिया मिशन 2.0’ का ऐलान हुआ है, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा। लेकिन मेरी बहन, जो लखनऊ में बी.टेक कर रही है, कहती है, "पिछले साल कोर्स पूरा करने के बाद भी 6 महीने तक नौकरी नहीं मिली। कंपनियाँ कहती हैं—एक्सपीरियंस चाहिए। लेकिन एक्सपीरियंस आएगा कहाँ से?" बेंगलुरु में IT सेक्टर में जॉब कटौती की खबरें भी डराने वाली हैं। यह स्कीम कितनी कामयाब होगी, यह तो वक्त बताएगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर: मेट्रो शहरों का, गाँवों का क्या?

15 नई मेट्रो लाइनों का ऐलान हुआ है। दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में लोग खुश हैं। लेकिन जम्मू के मेरे दोस्त का कहना है, "हमारे यहाँ तो बस स्टैंड की हालत खस्ता है। मेट्रो का सपना तो दूर की बात है।" असम में एक ट्रक ड्राइवर ने बताया, "गुवाहाटी से तिनसुकिया 12 घंटे लगते हैं। सड़कें ठीक हों तो 8 घंटे में पहुँच जाएँ।" सरकार को चाहिए कि छोटे शहरों और गाँवों की सड़कों पर भी ध्यान दे।

कॉर्पोरेट vs आम आदमी: किसकी जीत?

कॉर्पोरेट टैक्स 22% से घटाकर 18% करने की बात सबसे ज्यादा चर्चा में है। बड़ी कंपनियाँ कहती हैं कि इससे निवेश बढ़ेगा। लेकिन मेरा सवाल है—क्या यह पैसा हमारी जेब तक पहुँचेगा? पेट्रोल-डीजल सस्ता करने की बजाय, सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर सब्सिडी बढ़ाई। मगर एक मिडिल क्लास फैमिली 20 लाख की EV कैसे खरीदेगी? यहाँ थोड़ा बैलेंस चाहिए था।

निष्कर्ष: लागू करने की असली चुनौती

2025 का बजट कागजों पर तो शानदार लगता है। MSMEs को राहत, किसानों को फंड, हेल्थकेयर में निवेश—सब कुछ है। लेकिन असली टेस्ट तब होगा, जब ये योजनाएँ गाँव-देहात तक पहुँचेंगी। क्या राज्य सरकारें इसे ईमानदारी से लागू करेंगी? क्या भ्रष्टाचार और कागजी कार्रवाई इसे रोक नहीं देगी? और सबसे बड़ा सवाल—क्या यह बजट मिडिल क्लास को सचमुच ‘अच्छे दिन’ दे पाएगा, या सिर्फ बड़े-बड़े वादों तक रह जाएगा?

तो आपको क्या लगता है? कमेंट में बताएँ कि यह बजट आपके लिए कितना फायदेमंद है। मेरे लिए तो यह मिक्स बैग है—कुछ अच्छा, कुछ अधूरा। लेकिन हाँ, उम्मीद अभी बाकी है!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ